नया कहानी
यह कहानी पड़ने के बाद आप अपने लाइफ में पड़ना सूरी कर दोगे
1.👍 आज मैं आप लोगों को ऐसा कहानी बताने जा रहा हूँ जिस कहानी को सुन कर आपके आँख में आँसू आ जायँगे
2.👌 इस कहानी को आप जरूर पड़ना
Start know
3.एक गुरु थे जो आश्रम में बच्चों को पढ़ाते तो वे गुरु बहुत अच्छे थे और अपने शिष्य को बहुत बहुत अच्छे से पड़ते थे गुरु का परिवार बहुत छोटा सा था वह बहुत सौभ्भी और सुशिल थे ये गुरु जो थे जितने बच्चे को बढ़ते थे सब बहुत ठीक ठाक थे लेकिन उनमे से एक बच्चा बहुत कमजोर था पड़ने में जो गुरू थे उस बच्चे से थक गये थे
मगर वह बच्चा जो था डेलिये पढ़ाता था मगर वह कुछ याद नही कर पता था उस बच्चे को कुछ याद ही नही होता था वह बच्चा भी बहुत मेहनत करता था मगर उसे कुछ पल्ले नही पड़ता था
सारे बच्चे पड़ने में बहुत ठीक थे इस बच्चे को बहुत सर्म आती थी सरे बच्चे इस बच्चे को चिड़ाते थे यह भी तांग हो गया था अपने हालात से एक दिन इसके गुरु इसको अपने आश्रम से बहुत बहुत निकाल दिये
मगर यह भी कहा हार मनाता है
यह सोच लिया था मैं पड़ूंगा चाहे जिस हालत से हमें गुजरना हो यह बच्चा आश्रम से चल दिया जाते जाते एक कुवा मिला वहाँ रुक कर इसने देखा तो सोचा कि जब एक रस्सी पथ्थर को काट सकती है तो मैं किव नही पड़ सकता हु इनके गुरु बार बार कहते थे तुमारे हाथों में
पडने की रेखा नही है तुम नही पड़ सकते हो मगर यह बच्चा यह सोच कर अपने हाथों में चिर के रेखा बनता है
फिर वहां से फिर अपने गुरु के आश्रम की ऒर कि चल देता है और फिर आपने गुरु को कहता है गुरु जी मेरे हाथों में भी पडने की रेखा है मैं पढ़ सकता हूँ गुरु के जब उस बच्चे को देखते है तो वह भी मान जाते है और फिर वह बच्चा पढने लगाता हैं और सबसे तेज हो जाता है
The end
मनुष्य जिस चीज को ठान ले ओ भी दिल से नहीं हमे करना है चाहे मरके या जीके करूँगा जरूर किव नहीं होगा जरूर होगा बस आप कर के तो देखो ओ भी दिल से लड़ाई ही जीवन है
यह कहानी पड़ने के बाद आप अपने लाइफ में पड़ना सूरी कर दोगे
1.👍 आज मैं आप लोगों को ऐसा कहानी बताने जा रहा हूँ जिस कहानी को सुन कर आपके आँख में आँसू आ जायँगे
2.👌 इस कहानी को आप जरूर पड़ना
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3.एक गुरु थे जो आश्रम में बच्चों को पढ़ाते तो वे गुरु बहुत अच्छे थे और अपने शिष्य को बहुत बहुत अच्छे से पड़ते थे गुरु का परिवार बहुत छोटा सा था वह बहुत सौभ्भी और सुशिल थे ये गुरु जो थे जितने बच्चे को बढ़ते थे सब बहुत ठीक ठाक थे लेकिन उनमे से एक बच्चा बहुत कमजोर था पड़ने में जो गुरू थे उस बच्चे से थक गये थे
मगर वह बच्चा जो था डेलिये पढ़ाता था मगर वह कुछ याद नही कर पता था उस बच्चे को कुछ याद ही नही होता था वह बच्चा भी बहुत मेहनत करता था मगर उसे कुछ पल्ले नही पड़ता था
सारे बच्चे पड़ने में बहुत ठीक थे इस बच्चे को बहुत सर्म आती थी सरे बच्चे इस बच्चे को चिड़ाते थे यह भी तांग हो गया था अपने हालात से एक दिन इसके गुरु इसको अपने आश्रम से बहुत बहुत निकाल दिये
मगर यह भी कहा हार मनाता है
यह सोच लिया था मैं पड़ूंगा चाहे जिस हालत से हमें गुजरना हो यह बच्चा आश्रम से चल दिया जाते जाते एक कुवा मिला वहाँ रुक कर इसने देखा तो सोचा कि जब एक रस्सी पथ्थर को काट सकती है तो मैं किव नही पड़ सकता हु इनके गुरु बार बार कहते थे तुमारे हाथों में
पडने की रेखा नही है तुम नही पड़ सकते हो मगर यह बच्चा यह सोच कर अपने हाथों में चिर के रेखा बनता है
फिर वहां से फिर अपने गुरु के आश्रम की ऒर कि चल देता है और फिर आपने गुरु को कहता है गुरु जी मेरे हाथों में भी पडने की रेखा है मैं पढ़ सकता हूँ गुरु के जब उस बच्चे को देखते है तो वह भी मान जाते है और फिर वह बच्चा पढने लगाता हैं और सबसे तेज हो जाता है
The end
मनुष्य जिस चीज को ठान ले ओ भी दिल से नहीं हमे करना है चाहे मरके या जीके करूँगा जरूर किव नहीं होगा जरूर होगा बस आप कर के तो देखो ओ भी दिल से लड़ाई ही जीवन है

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